मनोरंजक कथाएँ >> नेक बनो नेक बनोसावित्री पुरी
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बाल कहानी...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
पढ़ाई पर ध्याय दें
स्कूल में तुम्हें जो होमवर्क दिया जाता है उसे तुम घर आकर पूरा करो। समय
पर अपना गृहकार्य पूरा करो। पढ़ाई में कभी बहाना मत बनाओ। आलस्य छोड़ दो।
जो विद्यार्थी आलसी होते हैं वे अपना सारा समय सोने और आराम करने में बिता देते हैं। इसलिए वे पढ़ाई में सदैव पिछड़े रहते हैं।
समय पर पढ़ाई करो और समय पर खेलो कूदो। हमें हर कार्य समय से करना चाहिए। हमारी एक व्यवस्थित दिनचर्या होनी चाहिए।
हमें अपने माता-पिता, बड़े भाई-बहिन अथवा शिक्षक से अनुरोध कर अपने लिए एक नियमित दिनचर्या बनवा लेनी चाहिए। दिनचर्या के अनुसार ही हमें अपने सारे कार्य करने चाहिए।
बच्चों, तुम हमेशा खेलने कूदने में ही न लगे रहो। जीवन के लिए मनोरंजन आवश्यक है लेकिन जरूरत से ज्यादा मनोरंजन पढ़ाई में बाधा पहुंचाता है।
अपना पाठ भली प्रकार से याद करो। स्कूल में तुम्हारे शिक्षक जो पाठ पढ़ाते हैं उसे ध्यान से सुनो। अपने शिक्षक का कहना मानो। यदि वे तुम्हें अनुशासन में रहने के लिए कहें तो तुम्हें अनुशासन में रहना चाहिए।
कक्षा में कभी शोर नहीं मचाना चाहिए। कक्षा में शोरगुल करने से विद्यालय का अनुशासन भंग होता है। इससे पढ़ाई में बाधा आती है। हमें कभी शैतान छात्रों से मित्रता नहीं करनी चाहिए। हमें सदैव चरित्रवान, होशियार और शान्त प्रवृत्ति के विद्यार्थियों से ही दोस्ती करनी चाहिए।
जो विद्यार्थी आलसी होते हैं वे अपना सारा समय सोने और आराम करने में बिता देते हैं। इसलिए वे पढ़ाई में सदैव पिछड़े रहते हैं।
समय पर पढ़ाई करो और समय पर खेलो कूदो। हमें हर कार्य समय से करना चाहिए। हमारी एक व्यवस्थित दिनचर्या होनी चाहिए।
हमें अपने माता-पिता, बड़े भाई-बहिन अथवा शिक्षक से अनुरोध कर अपने लिए एक नियमित दिनचर्या बनवा लेनी चाहिए। दिनचर्या के अनुसार ही हमें अपने सारे कार्य करने चाहिए।
बच्चों, तुम हमेशा खेलने कूदने में ही न लगे रहो। जीवन के लिए मनोरंजन आवश्यक है लेकिन जरूरत से ज्यादा मनोरंजन पढ़ाई में बाधा पहुंचाता है।
अपना पाठ भली प्रकार से याद करो। स्कूल में तुम्हारे शिक्षक जो पाठ पढ़ाते हैं उसे ध्यान से सुनो। अपने शिक्षक का कहना मानो। यदि वे तुम्हें अनुशासन में रहने के लिए कहें तो तुम्हें अनुशासन में रहना चाहिए।
कक्षा में कभी शोर नहीं मचाना चाहिए। कक्षा में शोरगुल करने से विद्यालय का अनुशासन भंग होता है। इससे पढ़ाई में बाधा आती है। हमें कभी शैतान छात्रों से मित्रता नहीं करनी चाहिए। हमें सदैव चरित्रवान, होशियार और शान्त प्रवृत्ति के विद्यार्थियों से ही दोस्ती करनी चाहिए।
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